भगवान ने इस दुनिया मैं प्रत्येक चीजों को बहुत सोच समझकर बनाया है | प्रत्येक चीज का अपना एक अलग महत्त्व होता है | कुछ ऐसी चीजे है जिनमे ईश्वर स्वयं निवास करते है | आज हम आपको कुछ ऐसी चीजों के बारे मैं बताएँगे अगर मानव उन चीजों का अपमान करता है तो भगवान भी उस मनुष्य से नाराज होते है जो की उस मनुष्य के पतन का कारण बनता है | उन चीजों का अपमान करने से मनुष्य के जीवन मैं दुःख, संकट और गरीबी आती है और मनुष्य दरिद्रता मैं अपना जीवन यापन करता है | ऐसी कौन कौन सी चीजे है आईये जानते है उनके बारे मैं...
कभी भी न करें इन तीन चीजों का अपमान ईश्वर होते है नाराज
गाय का अपमान
इस संसार मैं गाय का विशेष स्थान है | गाय को ना सिर्फ मनुष्यो ने बल्कि देवी और देवता ने भी गाय को विशेष दर्जा दिया है | प्राचीन पुराणों मैं गाय को नंदा, सुनंदा, सुरभि, सुशीला और सुमन कहा गया है | कृष्ण कथा मैं भी गाय का विशेष स्थान बताया गया है | गाय को गो माता और कामधेनु माना गया है | गाय के द्वारा मनुष्य को दूध, दही, घी, गोबर, गोमूत्र आदि प्राप्त होतें है | प्राचीन पुराणों मैं ऐसा कहा जाता है की गाय मैं देवी और देवता निवास करते और यदि कोई भी गाय का अपमान करता है तो सीधा भगवान का अपमान होता है | इसलिए कभी भी भूलकर भी गाय का अपमान नहीं करना चाहिए इससे घर मैं परेशानिया, दुःख, संकट, और गरीबी आती है |
तुलसी का पौधा
तुलसी का पौधा एक ऐसा पौधा है जो की गुणों का भंडार है ऐसा कहा जाता है की जिस घर मैं तुलसी का पौधा होता है उस घर मैं ईश्वर का वास होता है इसलिए तुलसी के पौधे को पूजना चाहिए और जिस घर मैं तुलसी के पौधे की पूजा नहीं की जाती है उस घर मैं तुलसी का अपमान समझा जाता है और ऐसा करने से ईश्वर स्वयं नाराज होते है इसलिए घर मैं अगर तुलसी का पौधा लगाए तो उसकी पूजा जरूर करें | धार्मिक शास्त्रों मैं तुलसी के पौधे को बहुत शुद्ध और पवित्र माना गया है और विज्ञानं की द्रष्टि से देखा जाए तो तुलसी के पौधे के समान गुणों से भरपूर और कोई पौधा नहीं है |
गंगाजल का अपमान
धार्मिक ग्रंथो के अनुसार ऐसा कहा जाता है की गंगा सीधे स्वर्ग से पृथ्वी पर आयी हुई थी | गंगा नदी के अंदर स्वयं माता गंगा निवास करती है | शिवपुराण और विष्णुपुराण मैं ऐसा कहा गया है कि जो व्यक्ति गंगा का अपमान करता है उसके द्वारा अर्जित किये गए पुण्य कर्मो का फल उसे नहीं मिलता है | इसलिए गंगाजल का कभी भी अपमान नहीं करना चाहिए क्योंकि गंगा माँ के समान होती है और उसके जल का कई धार्मिक कार्यो मैं प्रयोग किया जाता है |